About

Mr. Shanker Kumar

Founder & Chairman

Chairman's Message

मुझे अपने प्रारंभिक जीवन में ही जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला और जीवन के उसी सफर के दौरान मैंने अनेक व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को भी सफलतापूर्वक संचालित किया, उसी क्रम में मुझे शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने का मौका मिला | शिक्षा के क्षेत्र में मुझे एक अलग अनुभूति हुई, जब अपने बच्चे को सफल होते देख अभिभावकों के चेहरे पर खुशी दिखती थी, तो मुझे अपने संस्थान की सार्थकता का अहसास होता था | इस भावना से ओत-प्रोत होकर मैंने यह निर्णय लिया कि अब मेरे सफर की यही मंजिल है और इसी को मुझे उस मुकाम तक पहुँचाना है, जिसकी अपेक्षा हमारे बच्चे और उनके अभिभावक हमसे करते हैं। इसके बाद मैंने अपनी जिंदगी का सफर शिक्षा के क्षेत्र में तय किया और सफलतापूर्वक मंजिल की ओर अग्रसर होता रहा, उसी दौरान मुझे अहसास हुआ कि मातृभूमि ने हर सफर में मेरा साथ दिया और अब मेरी बारी है कि मैं अपने क्षेत्र के बच्चों के लिए एक विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करने का प्रयास करुँ |

"Kurma Sanskriti School" उन सारे अभिभावको के लिए आशा और उम्मीद की किरण होगी जो अभिभावक सीमित संसाधनो के बावजूद अपने बच्चों को एक नई ऊँचाई देना चाहते हैं | ये हमलोग भी बखूबी जानते हैं, कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे मनुष्य की अन्तनिहित पूर्णता को अभिव्यक्त किया जा सकता है, यह भी जानते है कि वही लोग सही समय पर सही मार्ग का चुनाव कर आगे बढ़ते हैं जिनके पास "सही शिक्षा" है। "सही शिक्षा" सिर्फ दो शब्द ही नही है अपितु सफल जीवन का सार भी है। हर लक्ष्य को प्राप्त करने का एक माध्यम होता है और इसी तरह "सही शिक्षा" प्राप्त करने के लिए जरूरी है सही शिक्षकों का चयन होना, जो हमारी प्राथमिकता है।

शिक्षकों को सर्वसम्मानित व्यक्तियों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए क्योंकि शिक्षक सामान्य नौकरीपेशा या व्यवसायी नही हैं, अपितु वे एक समाज , देश और विश्व के निर्माणकर्ता हैं।

आज के दौर में बच्चे को किताबी ज्ञान देना ही पर्याप्त नही है, अपितु हमें उन्हें ऐसे मानव के रूप में गढ़ना चाहिए जो आने वाले समय के लिए अच्छा, माननीय मूल्यों से ओत-प्रोत, स्वस्थ, स्वच्छ, निष्कपट एवं विकासशील समाज का निर्माण कर सकें, क्योंकि आज जो बच्चे हैं, वही कल के समाज के अंग और निर्माणकर्ता होंगे।

बच्चों के इस सम्‍पूर्ण विकास में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। शिक्षक को उस मूर्तिकार की भाँति होना चाहिए जो सीमित संसाधनो की परवाह नहीं करते हुए अपनी कार्यकुशलता और छैनी- हथौड़ी के जरिए अनगढ़ से अनगढ़ पत्थरों को तराशकर एक सुन्दर मूर्ति का रूप दे देता है। बच्चों के विकास के लिए, हमें, उनकी अन्तर्निहित प्रतिभा को समझना चाहिए, क्योंकि बच्चे एक कोमल पौधे की भाँति होते है जिनको पर्याप्त पालन-पोषण की जरूरत होती है। यह दायित्व शिक्षक, अभिभावक, समाज और संस्थान के प्रबंधको का भी है कि वे एक कुशल माली की तरह बच्चों का शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास कर, उनके जीवन-मार्ग रूपी शाखाओं को मजबूती प्रदान करें।

मैं आपसे इन बातों के जरिये ये कहना चाहता हूँ, कि अब हमारे बच्चो को 'Hard Work' के साथ-साथ 'Smart Learning' की भी सख्त जरूरत है। क्योंकि आज के वैज्ञानिक युग में दूरी और समय पर काफी हद तक सफलता पा ली गई है।

आज इन्टरनेट के माध्यम से पूरा विश्व एक मंच पर आ गया है, और अब अपनी मातृभाषा के साथ-साथ English भाषा पर भी अच्छी पकड़ बनाने की सख्त जरूरत है, ताकि हम पूरी दुनियाँ की बातो को सोचने- समझने और उस स्तर तक स्वयं को विकसित करने में सक्षम हो सकें । जिससे इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे बच्चे न केवल अपने और अपने परिवार तक ही सीमित रहें अपितु अपने क्षेत्र, प्रदेश, देश और विश्व के ज्ञान- चक्षु को भी प्रदीप्त करें। हमारा उद्देश्य बच्चों को सम्पूर्ण शिक्षा देना है और इसी के माध्यम से भारत को पुनः विश्वगुरू बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करना है।